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"दोहा प्रभाकर: छंद और जीवन का संगम"

"दोहा प्रभाकर: छंद और जीवन का संगम"

De : रमेश चौहान
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À propos de cette écoute

"दोहा प्रभाकर" पॉडकास्ट में आपका स्वागत है—जहां हम हिंदी काव्य की सबसे लोकप्रिय और गेय छंद विधा दोहे की गहराइयों में उतरेंगे। हम दोहे के शिल्प विधान, मात्रा गणना, गुरु-लघु विन्यास, और गणों की बारीकियों को समझेंगे। साथ ही, हम प्रेरणादायक, आध्यात्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक दोहों का पाठ व विश्लेषण करेंगे—ताकि श्रोताओं को छंद ज्ञान के साथ-साथ जीवन दर्शन भी मिल सके। इस शो में आपको मिलेगा: छंद शास्त्र और दोहे की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, दोहा लेखन के तकनीकी नियम, विभिन्न प्रकार के दोहों के उदाहरण, समकालीन संदर्भ में दोहा का महत्व, कवि-हृदय से झांकते जीवन के अनुभव और संदेश । #HindiPoetry #DohaChhandरमेश चौहान
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    Épisodes
    • दोहा: शिल्प और प्रयोग
      Aug 5 2025

      इस कड़ी में रमेश चौहान की दोहा प्रभाकर के "दोहा: शिल्प और प्रयोग" खण्ड़ से लिए गए उद्धरण दोहे की प्रकृति और इसके विभिन्न काव्यात्मक अनुप्रयोगों का विवरण प्रस्तुत है। यह दोहे को एक मुक्तक छंद के रूप में परिभाषित करता है जो एक ही इकाई में पूर्ण अर्थ समाहित करता है, अक्सर "गागर में सागर" के समान भाव व्यक्त करता है। इसमें पारंपरिक दोहे के अलावा दोहा-गीत, सिंहावलोकनी दोहा, और दोहा मुक्तक जैसे नए प्रयोगात्मक रूपों की भी चर्चा है, जो दोहे के अंतर्निहित गेय गुणों और इसकी अनुकूलनशीलता को प्रदर्शित करते हैं। उदाहरणों के माध्यम से, यह दोहे की शिल्पगत विशेषताओं को स्पष्ट करता है, जैसे कि शब्दों का सटीक चयन और विभिन्न रचनाओं में तुक और विन्यास का समावेश। कुल मिलाकर, पाठ दोहे की कालजयी अपील और आधुनिक काव्यात्मक संदर्भों में इसकी बहुमुखी प्रतिभा को रेखांकित करता है।

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      7 min
    • दोहा छंद: शिल्प विधान और प्रकार
      Aug 3 2025

      इस ज्ञानवर्धक एपिसोड में हम चर्चा कर रहे हैं रमेश चौहान द्वारा रचित दोहा प्रभाकर, दोहा विषयक ग्रंथ पर, जो दोहा छंद की शिल्पात्मक विशेषताओं और उसके भिन्न-भिन्न प्रकारों पर आधारित है।

      यह एपिसोड स्पष्ट करता है कि दोहा छंद की रचना कैसे होती है—दो पद, प्रत्येक में दो चरण, और प्रत्येक चरण में निश्चित मात्रा संरचना। विशेष रूप से, पहले चरण में 13 मात्राएँ और दूसरे में 11 मात्राएँ होती हैं। इसमें विषम और सम चरणों में मात्रा विन्यास के साथ-साथ अंतिम वर्णों के नियमों की भी चर्चा की गई है।

      हम देखेंगे कि कैसे जगण, रगण, और नगण जैसे गणों का उपयोग दोहे की छवि को गहराई देता है। इसके साथ ही तुकबंदी (राइम स्कीम) का महत्व भी उदाहरणों के माध्यम से स्पष्ट किया गया है।

      एपिसोड के अंत में हम जानेंगे कि कैसे मात्राओं की भिन्नता के आधार पर तेईस प्रकार के दोहे निर्मित होते हैं—जैसे:

      • भ्रमर दोहा

      • शरभ दोहा

      • सर्प दोहा

      प्रत्येक प्रकार की अपनी विशिष्ट मात्रा संरचना होती है, जो उसे अन्य प्रकारों से अलग करती है।

      🔊 इस साहित्यिक यात्रा में हमारे साथ चलें और जानें दोहे के छंद-विधान का सौंदर्य और वैचारिक गहराई।

      इस किताब को आप पढ़ सकते हैं- https://amzn.in/d/e9t9rsK

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      8 min
    • दोहा प्रभाकर: मात्रा, वर्ण और छंद विधान
      Aug 2 2025

      होस्ट-रमेश चौहान

      यह एपिशोड़ मात्रा, वर्ण, और छंद विधान पर केंद्रित है, जो हिंदी कविता की संरचना को समझने के लिए मौलिक अवधारणाएँ हैं। इसमें मात्रा को अक्षरों के उच्चारण में लगने वाले समय के रूप में परिभाषित किया गया है, जिन्हें लघु (एक मात्रा) और गुरु (दो मात्राएँ) में वर्गीकृत किया गया है। पुस्तक वर्णों को स्वर और व्यंजन में विभाजित करती है, प्रत्येक के लघु या दीर्घ वर्गीकरण के साथ उच्चारण समय के आधार पर। यह मात्राओं की गणना के विस्तृत नियम प्रदान करता है, जिसमें अर्ध-वर्णों और संयुक्त वर्णों पर उनके प्रभावों को स्पष्ट किया गया है। इसके अतिरिक्त, यह 'कल' की अवधारणा को प्रस्तुत करता है, जो कुल मात्रा भार को दर्शाता है, और 'गेयता' के लिए कलों के संयोजन के महत्व पर प्रकाश डालता है। अंत में, यह तुकांतता के नियमों और उसके विभिन्न स्तरों को समझाया गया है, जो हिंदी छंदों में सामंजस्य और प्रवाह सुनिश्चित करता है।

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      9 min
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