Bas Yun Hi [Just like That]
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Lu par :
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Mansi Singh
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De :
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Harshita Vyas
À propos de ce contenu audio
बस यूँ ही क़लम उठाई थी मैंने, काग़ज़ पे यूँ ही चलाई थी मैंने, कुछ बिखरी हुई सी बातें थीं ज़ेहन में, उन्हें जोड़ के कविता बनाई मैंने... यह कोई कहानी नहीं है, यहाँ-वहाँ की, इधर-उधर की, अपने जीवन में बीते ग़म और ख़ुशी के पलों की मिली-जुली बातें हैं, जिनको कभी हॉस्टल के रूम में दोस्तों से कहा करती थी, और अब आपसे बाँट रही हूँ। ये बातें आपको अलग-अलग स की गोलियाँ याद दिला सकती हैं। इनमें से कुछ गोलियाँ मीठी और कुछ खट्टी भी लग सकती हैं, कुछ कड़वी तो कुछ नमकीन भी, और हाँ कुछ तो वैसी जो खाने पर एकदम खाँसी की दवा जैसी लगती है। मैंने लिखते समय हर स का मज़ा लिया। आशा है कि मेरी इस किताब 'बस यूँ ही' को पढ़ते हुए आप भी अपने जीवन में बीते पलों को, स्कूल को, कॉलेज को, दोस्तों को, पहले प्यार को, किसी की मुस्कुराहट को, किसी भूली बरसात को, चाय की चुस्कियों के साथ फिर एक बार जी सकें।.
Please Note: This audiobook is in Hindi.
©2021 Harshita Vyas (P)2021 Storyside IN
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